हेलो दोस्तों में आज के इस लेख में आपका स्वागत करती हूँ, आज हम इस न्यू ब्लॉग पोस्ट में बात करेंगे शिवरात्रि पर क्यों नहीं सोना चाहिए? जानिये अगर सो गये तो क्या होगा। जानिए हैरान कर देने वाली कहानी, दोस्तों हम इस लेख में आपके लिए लेकर आये है एक ऐसी जानकारी जो आप लोगो ने कभी सुना नई होगा। जैसे की हम सब जानते है, महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। जानिए इस विशेष दिन में सो जाने से ऐसा क्या होगा बने रहिये हमारे साथ इस लेख में।
दोस्तों आज के इस लेख में हम बात करने वाले शिवरात्रि पर क्यों नहीं सोना चाहिए? जानिये अगर सो गये तो क्या होगा। महाशिवरात्रि शिव भगवान की अद्भुत रात्रि है और हिंदू समाज में इसका उत्सव मनाया जाता है। इस रात्रि में भक्तों को सोना नहीं चाहिए। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण होते हैं। इसके पीछे की सारी जानकारी हम इस ब्लॉग के माध्यम से आप तक साझा करेंगे।
प्राचीन काल से ही महाशिवरात्रि की रात को जागने की प्रथा चली आ रही है। कुछ लोग पूरी रात ध्यान में लगे रहते हैं, जबकि कुछ लोग शिव-पार्वती के विवाह के पर्वतन के रूप में जागरण करते हैं। लेकिन आजकल रात जागने का वैज्ञानिक कारण भी है, बने रहिये इस लेख में अंत तक।
शिवरात्रि पर क्यों नहीं सोना चाहिए?
आज महाशिवरात्री के त्योहार को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। भक्तगण भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास कर रहे हैं और उनकी पूजा अर्चना में लगे हुए हैं। मंदिरों को फूलों से सजाया गया है। महाशिवरात्री का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही महत्वपूर्ण है। शिवरात्रि का मतलब होता है हर महीने का 14वां दिन, अर्थात् अमावस्या से एक दिन पहले। साल में कुल 13 शिवरात्रि मनाई जाती हैं, जिसमें फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि विशेष रूप से अद्भुत होती है।
महाशिवरात्रि 2024: चार प्रहर पूजा के शुभ मुहूर्त
प्रहर | पूजा का समय | पारण मुहूर्त |
---|---|---|
दूसरे | 08 मार्च, सुबह 09:33 – 09 मार्च, सुबह 12:37 | 09 मार्च, सुबह 06:38 – दोपहर 03:30 |
तीसरे | 09 मार्च, सुबह 12:37 – 09 मार्च, सुबह 03:40 | |
चौथे | 09 मार्च, सुबह 03:40 – 09 मार्च, सुबह 06:44 |
महाशिवरात्रि: भारतीयों का प्रमुख त्योहार
महाशिवरात्रि भारतीयों का एक मुख्य उत्सव है। यह भगवान शिव का प्रमुख त्योहार है। माघ फागुन फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के रूप में मनाई जाती है। माना जाता है कि सृष्टि की उत्पत्ति इसी दिन हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरंभ अग्नि के उत्पत्ति से हुआ था। इसी दिन महाशिवरात्रि माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित हुई। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव व पत्नी पार्वती की पूजा होती है।
यह पूजा व्रत रखने के दौरान की जाती है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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महाशिवरात्रि को क्यों न सोये: क्या कहता है विज्ञान?
आदिमानव (Primitive Man) मनुष्य के चलने के द्वारा पैरों के बल चलने में हुए परिवर्तन का उदाहरण देते हुए सद्गुरु बताते हैं कि इस रात में अद्वितीय शक्ति होती है। जो शरीर में नीचे से ऊपर की ऊर्जा का प्रवाह करती है। यही कारण है कि इस रात को रीढ़ की हड्डी में ऊर्जा का प्रवाह होने के कारण सोना नहीं चाहिए।
महाशिवरात्रि के रात्रि में ऊर्जा का संचार
जो भक्त शिव का पूरी श्रद्धा के साथ अनुसरण करता है, उसे अपने आप में शांति और शांति की भावना महसूस करने के लिए महाशिवरात्रि की रात को साधना या ध्यान का अभ्यास करना चाहिए।
साध्गुरु के अनुसार महाशिवरात्रि पर सोना क्यों नहीं चाहिए:-
- महाशिवरात्रि की रात में मानव तंत्र में प्राकृतिक ऊर्जा का उत्साह होता है।
- यह अत्यधिक ऊर्जा केवल उन लोगों के द्वारा प्रयोग की जा सकती है, जिनकी सीधी लंबवत रीढ़ होती है।
- केवल मानव उस स्तर तक लंबवत रीढ़ को उन्नति देते हैं।
- महाशिवरात्रि की रात में रीढ़ को सीधा और लंबवत रखने के बहुत सारे लाभ होते हैं।
- रात भर जागरूक रहना और लंबवत रीढ़ के स्थिति में लाभ के लिए केवल धार्मिक मार्ग पर चलने वाले योगियों आदि के लिए ही नहीं, बल्कि अन्यों के लिए भी हो सकता है।
- भगवान शिव के पास तीसरी आँख होती है जो सभी वास्तविकताओं का आधार है। यह भौतिक से परे होता है और आयामी धारणा प्रदान करता है।
- महाशिवरात्रि आपके आत्मा और आपके आस-पास की गहरी आयामी धारणा की ओर आपकी यात्रा को सुविधा प्रदान करता है।
इसलिए इस रात को ना तो सोना चाहिए और ना ही अपने दोस्तों-परिजनों को सोने देना चाहिए. सीधे बैठें और जागते रहें।
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महाशिवरात्रि का महत्व: : क्या है धार्मिक पक्ष
महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व भी है, मान्यताओं के अनुसार यह रात भगवान शिव और माता पार्वर्ती की विशेष रात होती है, ऐसा मानना है कि इस दिन दोनों संसार भ्रमण के लिए निकलते हैं, ऐसे में महाशिवरात्रि को पूरी रात जागरण करने की सलाह दी जाती है इन सब के अलावा कुछ और ग्रंथों में भी वर्णित है जो बताते हैं कि इस रात्रि को अकेले रहना चाहिए और भगवान शिव की पूजा में विलीन रहना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस लेख में, हमने महाशिवरात्रि 2024 के शुभ मुहूर्तों के बारे में जानकारी दी है। इस अवसर पर दूसरे, तीसरे, और चौथे प्रहर में पूजा का समय और पारण मुहूर्त बताया गया है। इन मुहूर्तों का पालन करके भक्त अपनी पूजा और ध्यान को अधिक समर्थ बना सकते हैं और महाशिवरात्रि के महत्व को समझ सकते हैं। इस धार्मिक उत्सव के माध्यम से आत्मिक और आध्यात्मिक विकास का सुनहरा अवसर प्राप्त होता है। इसलिए, इस महान पर्व के अवसर पर हम सभी को शुभकामनाएं।
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FAQs
1. क्या हमें शिवरात्रि की रात को सोना चाहिए?
उत्तर: महाशिवरात्रि व्रत में रात्रि जागरण का खास महत्व है, इसलिए इस व्रत में रात को सोना नही चाहिए।
2. शिवरात्रि के दौरान लोग सोते क्यों नहीं हैं?
उत्तर: शिवरात्रि के दौरान रात भर रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने से अत्यधिक लाभ होता है इस लिए लोग सोते नहीं हैं।
3. क्या हम शिवरात्रि व्रत के दौरान सो सकते हैं?
उत्तर: शिवरात्रि व्रत के दौरान दिन में सोने से बचें और रात में जागते रहें।
4. शिवरात्रि के दिन कितने बजे सोना चाहिए?
उत्तर: अगर आप शिवरात्रि का पूरा व्रत रख रहे हैं तो सोएं नहीं ।
5. शिव की रात कौन सी है?
उत्तर: महा शिवरात्रि, “शिव की महान रात” वर्ष का सबसे महत्वपूर्ण शिव उत्सव है।
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