नमस्ते दोस्तों हमारे आज के इस लेख में आपका स्वागत है, आज के इस न्यू ब्लॉग पोस्ट में हम बात करेंगे रामायण की हम जानेगे की Ramayana Me Kitne Kand Hai दोस्तों रामायण, हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। यह महाकाव्य भगवान राम के जीवन की कहानी को विस्तृत रूप में बताता है, जो धर्म, नैतिकता, और मानवता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को सार्थकता के साथ प्रस्तुत करता है। रामायण के कांडो में से हर एक-एक कांड के अर्थो से संदेश प्राप्त होता है आगे बने रहिये अंत तक।
(Ramayana Me Kitne Kand Hai) दोस्तों जैसा की कई किताबों मे अलग अलग विषय या भाग होते है, उसी प्रकार रामायण को भी कई भागों मे बाटा गया है जिसे आमतौर पर कांड कहते है। कई भक्तों के मन मे यह प्रश्न जरूर आता है कि रामायण मे कितने कांड होते है (Ramayana Me Kitne Kand Hai)? आपके इन्ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए आज हम आपके लिए ये न्यू ब्लॉग पोस्ट लाएं है – हमारे इस लेख के साथ अंतिम तक बने रहिये।
Ramayana Me Kitne Kand Hai जानिए
Ramayana Me Kitne Kand दोस्तों रामायण, हिन्दू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक माना जाता है। इसमें संविधान, नैतिकता, और धार्मिकता के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को साझा करता है, रामायण का काव्यिक रूप से अनोखा और मानवीय अर्थ प्रस्तुत करता है। रामायण के कांड धर्म, संघर्ष, प्रेम, और समर्पण के संदेशों को हमेशा हमें याद दिलाने में प्रेरित करते है। यह एक ऐसा महाकाव्य है जो हमें धार्मिकता के महत्व को समझने का अनोखा मार्ग प्रदान करता है।
Ramayana (राम द्वारा रावण का वध)
ग्रंथ | रामायण-कथा |
धर्म | हिन्दू धर्म |
लेखक | वाल्मीकि |
भाषा | संस्कृत |
रामायण के 7 काण्ड कौन-कौन से है?
Ramayana में सात काण्ड होते हैं और प्रत्येक काण्ड भगवान राम के जीवन के एक अहम चरण को विस्तार से बताते हैं। रामायण के सात काण्डों के नाम निम्नलिखित हैं:-
रामायण के 7 काण्ड
1 | बालकांड |
2 | अयोध्याकांड |
3 | अरण्यकांड |
4 | किष्किन्धाकांड |
5 | सुन्दरकांड |
6 | लंकाकांड |
7 | उतरकांड |
रामायण रचनाकाल, महाकाव्य और महत्व
(Ramayana Me Kitne Kand Hai) रामायण का समय त्रेतायुग के दौरान माना जाता है। गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य श्री निश्चलानन्द सरस्वती जैसे संतों के अनुसार, श्रीराम का अवतार श्वेतवाराह कल्प के सातवें वैवस्वत मन्वन्तर के चौबीसवें त्रेता युग में हुआ था। इसका अर्थ है कि श्रीरामचंद्र जी का काल लगभग पौने दो करोड़ वर्ष पूर्व का है।
महाकाव्य के रचनाकाल के संबंध में विभिन्न धारणाएँ हैं। कुछ विद्वान इसे 9 वीं से 4 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में लिखा गया मानते हैं, जबकि कुछ तीसरी शताब्दी ईसा के अंत तक तक इसका रचना काल मानते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि रामायण का रचनाकाल 6oo ईसा पूर्व से पहले भी हो सकता है।
रामायण महाकाव्य के लेखक महर्षि वाल्मीकि ने रचा। इसके अंतिम काण्ड का जोड़ा गया था और बहुत से लोग मानते हैं कि राम विष्णु के अवतार थे। इस कहानी का प्रभाव बहुत अधिक है और कई संस्कृत और भारतीय पुराणों में भी इसका उल्लेख किया गया है।
रामायण के 7 कांड: विस्तार से सभी कांडों का महत्व
(Ramayana Me Kitne Kand Hai) हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान राम, भगवान विष्णु के मनुष्य अवतार थे। इस अवतार का मुख्य प्रयोजन मानव जाति को आदर्श जीवन के लिए मार्गदर्शन करना था। अंत में श्रीराम ने राक्षसों के राजा रावण का वध किया और धर्म की पुनर्स्थापना की।
1] बालकाण्ड (Bal Kand)
बालकाण्ड में श्री राम और उनके भाइयों के पैदा होने से लेकर उनके विवाह तक की कथाओं का बड़ा ही सुन्दर विवरण है। Ayodhya (अयोध्या) नगरी में राजा दशरथ जिनकी तीन पत्नियाँ थीं – कौशल्या, कैकेयी, और सुमित्रा। संतान प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने अपने गुरु ऋषि वशिष्ठ की सलाह से पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया। यज्ञ के दौरान ऋषि ऋंगी ऋषि ने इसे सम्पन्न किया।
देवदूत द्वारा राजा दशरथ को खीर मिली, जिसे वे अपनी तीनों पत्नियों के साथ बाँट दिया। खीर के सेवन और यज्ञ से मिले आशीर्वाद के फलस्वरूप उन्हें चार पुत्र प्राप्त हुए राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या से उन्हें श्री राम प्राप्त हुए, पत्नी कैकई से उन्हें भरत और पत्नी सुमित्रा से लक्ष्मण तथा शत्रुघन प्राप्त हुए।
Rishi Vishwamitra ने राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांग कर अपने साथ ले जाने का अनुरोध किया। राम ने ताड़का और सुबाहु जैसे राक्षसों को मार डाला और मारीच को बिना फल वाले बाण से मार कर समुद्र के पार भेज दिया। लक्ष्मण ने भी राक्षसों की सारी सेना का संहार किया। फिर, राजा जनक के निमंत्रण पर विश्वामित्र, राम, और लक्ष्मण मिथिला नगरी में पहुँचे। रास्ते में राम ने गौतम मुनि की स्त्री अहल्या का उद्धार किया।
मिथिला में, राम ने शिवधनुष को उठाने का प्रयास किया और जनकप्रतिज्ञा के अनुसार सीता से विवाह किया। गुरु वशिष्ठ ने भरत का माण्डवी से, लक्ष्मण का उर्मिला से और शत्रुघ्न का श्रुतकीर्ति से विवाह करवाया।
2] अयोध्या कांड (अयोध्या की कहानी)
रामायण के दूसरे कांड में अयोध्या की कहानी है। राम के विवाह के कुछ समय बाद राजा दशरथ ने राम का राज्याभिषेक करना चाहा। तब मंथरा, जो कैकेयी की दासी थी, उसने कैकेयी की बुद्धि को फेर दिया। मंथरा की सलाह पर कैकेयी ने कोपभवन में चली गई। जब दशरथ मनाने आये तो कैकेयी ने उनसे वरदान मांगा कि भरत को राजा बनाया जाये और राम को चौदह वर्षों के लिए वनवास में भेज दिया जाये। राम के साथ सीता और लक्ष्मण भी वन चले गये।
यहाँ बताया गया है कि राम का विवाह के बाद उनका वनवास कैसे हुआ। मंथरा ने कैकेयी को प्रेरित किया और वह राम को वनवास भेजने के लिए राजा दशरथ से वचन का इस्तेमाल किया। इसी मांग पर राम, सीता, और लक्ष्मण 14 साल के लिए वनवास में निकल गए।
ऋंगवेरपुर में निषादराज गुह ने तीनों की बहुत सेवा की। कुछ आनाकानी करने के बाद केवट ने तीनों को गंगा नदी के पार उतारा। प्रयाग पहुंच कर राम ने भारद्वाज मुनि से भेंट की। वहां से राम यमुना स्नान करते हुये वाल्मीकि ऋषि के आश्रम पहुंचे। वाल्मीकि से हुई मन्त्रणा के अनुसार राम, सीता और लक्ष्मण चित्रकूट में निवास करने लगे।
अयोध्या में पुत्र के वियोग के कारण दशरथ का स्वर्गवास हो गया। वशिष्ठ ने भरत और शत्रुघ्न को उनके ननिहाल से बुलवा लिया। वापस आने पर भरत ने अपनी माता कैकेयी की, उसकी कुटिलता के लिये, बहुत भर्तस्ना की और गुरुजनों के आज्ञानुसार दशरथ की अन्त्येष्टि क्रिया कर दिया।
भरत ने अयोध्या के राज्य को अस्वीकार कर दिया और राम को मना कर वापस लाने के लिये समस्त स्नेहीजनों के साथ चित्रकूट चले गये। कैकेयी को भी अपने किये पर अत्यन्त पश्चाताप हुआ। (Ramayana Me Kitne Kand Hai) भरत तथा अन्य सभी लोगों ने राम के वापस अयोध्या जाकर राज्य करने का प्रस्ताव रखा जिसे कि राम ने, पिता की आज्ञा पालन करने और रघुवंश की रीति निभाने के लिये, अमान्य कर दिया।
भरत अपने स्नेही जनों के साथ राम की पादुका को साथ लेकर वापस अयोध्या आ गये। उन्होंने राम की पादुका को राज सिंहासन पर विराजित कर दिया स्वयं नन्दिग्राम में निवास करने लगे।
3] अरण्यकाण्ड (सीता हरण)
रामायण के तीसरे कांड में, हनुमान लंका की ओर चले। सुरसा ने उनका जाँचा और उन्हें उत्तम मानकर आशीर्वाद दिया। रास्ते में हनुमान ने राक्षसी को मारा और लंका में प्रवेश किया। वह विभीषण से मिले। अशोकवाटिका में जब हनुमान पहुँचे, तो रावण सीता को धमका रहे थे। रावण चले जाने के बाद, त्रिजटा ने सीता को सांत्वना दी। हनुमान ने सीता माता से मिलकर उन्हें राम की मुद्रिका दी। अशोकवाटिका को ध्वस्त करके हनुमान ने रावण के पुत्र अक्षय कुमार को मार डाला।
फिर मेघनाथ ने हनुमान को बाँधकर रावण के सभा में ले गया। रावण के प्रश्न का उत्तर देते हुए हनुमान ने अपना परिचय राम के दूत के रूप में दिया। रावण ने हनुमान को तेल में डूबा कपड़ा बाँधकर आग लगा दी, जिस पर हनुमान ने लंका को जला दिया।
हनुमान सीता के पास पहुँचे। सीता ने अपनी चूड़ामणि देकर उन्हें विदा किया। वे समुद्र पार करके सभी वानरों से मिले और सुग्रीव के पास चले गए। हनुमान के कार्य से राम बहुत प्रसन्न हुए। राम वानरों की सेना के साथ समुद्रतट पर पहुँचे। विभीषण ने रावण को समझाया कि राम से बैर न लें, लेकिन रावण ने विभीषण को अपमानित कर लंका से निकाल दिया।
(Ramayana Me Kitne Kand Hai) विभीषण राम के शरण में आ गया और राम ने उसे लंका का राजा घोषित किया। राम ने समुद्र से रास्ता देने की विनती की, लेकिन समुद्र ने इसका मना किया। राम ने उसके क्रोध से समुद्र को बांधों के द्वारा पुल बनाने की विनती की।
4] किष्किन्धा काण्ड (हनुमान लंका की ओर चले)
रामायण के चौथे कांड में, रामायण के तीसरे कांड में, हनुमान लंका की ओर चले। सुरसा ने उनका जाँचा और उन्हें उत्तम मानकर आशीर्वाद दिया। रास्ते में हनुमान ने राक्षसी को मारा और लंका में प्रवेश किया। वह विभीषण से मिले। अशोकवाटिका में जब हनुमान पहुँचे, तो रावण सीता को धमका रहे थे। रावण चले जाने के बाद, त्रिजटा ने सीता को सांत्वना दी। हनुमान ने सीता माता से मिलकर उन्हें राम की मुद्रिका दी। अशोकवाटिका को ध्वस्त करके हनुमान ने रावण के पुत्र अक्षय कुमार को मार डाला।
फिर मेघनाथ ने हनुमान को बाँधकर रावण के सभा में ले गया। रावण के प्रश्न का उत्तर देते हुए हनुमान ने अपना परिचय राम के दूत के रूप में दिया। रावण ने हनुमान को तेल में डूबा कपड़ा बाँधकर आग लगा दी, जिस पर हनुमान ने लंका को जला दिया।हनुमान सीता के पास पहुँचे। सीता ने अपनी चूड़ामणि देकर उन्हें विदा किया। वे समुद्र पार करके सभी वानरों से मिले और सुग्रीव के पास चले गए।
हनुमान के कार्य से राम बहुत प्रसन्न हुए। राम वानरों की सेना के साथ समुद्रतट पर पहुँचे। विभीषण ने रावण को समझाया कि राम से बैर न लें, लेकिन रावण ने विभीषण को अपमानित कर लंका से निकाल दिया। विभीषण राम के शरण में आ गया और राम ने उसे लंका का राजा घोषित किया। राम ने समुद्र से रास्ता देने की विनती की, लेकिन समुद्र ने इसका मना किया। राम ने उसके क्रोध से समुद्र को बांधों के द्वारा पुल बनाने की विनती की।(Ramayana Me Kitne Kand Hai)
5] सुन्दरकाण्ड (हनुमान की परीक्षा)
रामायण के पांचवे कांड में बताया गया है की, हनुमान ने लंका की ओर यात्रा की। सुरसा ने हनुमान का परीक्षण किया और उन्हें योग्य और सामर्थ्यशाली पाकर आशीर्वाद दिया। मार्ग में हनुमान ने एक राक्षसी को मार डाला जो उन्हें छाया पकड़ने की कोशिश कर रही थी, और फिर उन्होंने लंकिनी को प्रहार करके लंका में प्रवेश किया। फिर वह विभीषण से मिले। जब हनुमान अशोकवाटिका में पहुँचे, तो रावण ने सीता को धमकाया। रावण चला गया तो त्रिजटा ने सीता को सान्तवना दी।
हनुमान ने सीता माता से मिलकर उन्हें राम की मुद्रिका दी। फिर हनुमान ने अशोकवाटिका को नष्ट करके रावण के पुत्र अक्षय कुमार को मार डाला। फिर हनुमान को नागपाशों में बांधकर रावण की सभा में ले जाया गया। रावण के प्रश्न का उत्तर देते समय हनुमान ने अपना परिचय राम के दूत के रूप में दिया। रावण ने हनुमान की पूँछ में तेल में डूबे कपड़े को आग में जला दिया। तब हनुमान ने लंका को दहन कर दिया।हनुमान सीता के पास पहुँचे।
सीता ने अपनी चूड़ामणि देकर उन्हें विदा किया। फिर वे समुद्र पार करके सभी वानरों से मिले और सभी मिलकर सुग्रीव के पास चले गए। हनुमान के कार्य से राम बहुत प्रसन्न हुए। (Ramayana Me Kitne Kand Hai)
राम वानरों की सेना के साथ समुद्रतीर पर पहुँचे। वहाँ विभीषण ने रावण को समझाया कि उन्हें राम से विरोध नहीं लेना चाहिए। लेकिन रावण ने विभीषण को अपमानित करके लंका से निकाल दिया। विभीषण राम की शरण में आ गया और राम ने उसे लंका का राजा घोषित कर दिया। राम ने समुद्र से रास्ता देने की विनती की। विनती न मानने पर राम ने क्रोध किया और उनके क्रोध से भयभीत होकर समुद्र ने स्वयं आकर राम की विनती करने के बाद नल और नील के द्वारा पुल बनाने का उपाय बताया।
6] लंकाकाण्ड (घोर युद्ध)
सवाल का जवाब बिना इस कांड को जाने पूर्ण नहीं हो सकता। जाम्बवन्त के आदेश से नल-नील दोनों भाइयों ने वानर सेना की सहायता से समुद्र पर पुल बांध दिया। श्री राम ने श्री रामेश्वर की स्थापना करके भगवान शंकर की पूजा की और सेना सहित समुद्र के पार उतर गए। समुद्र के पार जाकर राम ने डेरा डाला। पुल बंध जाने और राम के समुद्र के पार उतर जाने के समाचार से रावण मन में अत्यन्त व्याकुल हुआ। मन्दोदरी के राम से बैर न लेने के लिए समझाने पर भी रावण का अहंकार नहीं गया।
लक्ष्मण और मेघनाद के बीच तेज़ युद्ध हुआ। लक्ष्मण को शक्तिबाण से घायल हो गया। उनके इलाज के लिए हनुमान ने वैद्य सुषेण को लाया और संजीवनी लाने के लिए निकले। गुप्तचर से समाचार मिलते ही रावण ने हनुमान के काम में बाधा डालने के लिए कालनेमि को भेजा, जिसे हनुमान ने मार दिया। चिकित्सा के लिए दवाई न मिलने से हनुमान ने पूरे पर्वत को ही उठा कर वापस चले। रास्ते में भरत ने हनुमान को राक्षस मानकर बाण छोड़ा, परन्तु जानकर हनुमान ने अपने बाण को वापस लंका भेज दिया। वहीं, दवा की देरी देखकर राम व्यथित होने लगे।
सही समय पर हनुमान लौटकर दवाई लेकर आए और सुषेण के इलाज से लक्ष्मण ठीक हो गए। रावण ने युद्ध के लिए कुम्भकर्ण को जागाया। कुम्भकर्ण ने भी रावण को राम की शरण में जाने की असफल प्रेरणा दी। युद्ध में कुम्भकर्ण ने राम के हाथों परमगति प्राप्त की। लक्ष्मण ने मेघनाद से युद्ध करके उसका वध किया। राम और रावण के बीच अनेक भयंकर युद्ध हुए और अंत में रावण को राम ने मार डाला। विभीषण को लंका का राज्य सौंपकर राम, सीता और लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान पर चढ़कर अयोध्या की ओर प्रस्थान किया।
7] उत्तरकाण्ड (राम कथा का अंत)
रामायण का सबसे अंतिम हिस्सा उत्तरकाण्ड राम कथा का अंत है। राम, सीता, लक्ष्मण और सभी वानर राम के साथ अयोध्या वापस आए। उनका भव्य स्वागत हुआ, सबने खुशी से भरपूर आनंद मनाया। (Ramayana Me Kitne Kand Hai) राम को राज्याभिषेक किया गया, वेदों और भगवान शिव की स्तुति के साथ। उपरोक्त उत्तरकाण्ड में, गोस्वामी तुलसीदास ने श्री राम-वशिष्ठ संवाद, नारद जी का अयोध्या में रामचन्द्र जी की प्रशंसा, शिव-पार्वती के संवाद, गरुड़ मोह, गरुड़ जी और काकभुशुण्डि जी के बीच रामकथा, ज्ञान-भक्ति की महिमा, गरुड़ के सात प्रश्न और काकभुशुण्डि जी के उत्तर, जैसे विषयों का विस्तार से वर्णन किया है।
जबकि वाल्मीकि रामायण में उत्तरकाण्ड में रावण और हनुमान के जन्म, सीता का निर्वासन, राजा नृग, राजा निमि, राजा ययाति, रामराज्य में कुत्ते का न्याय, लवकुश का जन्म, राम के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ, उसमें उनके पुत्रों लव और कुश द्वारा गाया गया रामायण, सीता का रसातल में प्रवेश, लक्ष्मण का परित्याग जैसे कई किस्से उसने लिखे हैं। (Ramayana Me Kitne Kand Hai)
वाल्मीकि रामायण में उत्तरकाण्ड का समापन राम के महाप्रयाण के बाद होता है। इस विषय पर विवाद भी है कि उत्तरकाण्ड मूल रामायण का हिस्सा है या नहीं। यहाँ कई विद्वान एकमत हैं कि उत्तरकाण्ड मूल रामायण का अंग नहीं है और इसमें
श्रीराम के सोलह आदर्श गुण
- गुणवान – गुणों से परिपूर्ण
- वीर्यवान (वीर) – बहादुर और शक्तिशाली
- धर्मज्ञ – धर्म को जानने वाले
- कृतज्ञ – दूसरों के अच्छे कार्यों को न भूलने वाले
- सत्यवाक्य – हमेशा सत्य बोलने वाले
- दृढव्रत – दृढ़ संकल्प वाले
- चरित्रवान – उत्तम चरित्र वाले
- सर्वभूतहितः – सभी प्राणियों के हितैषी
- विद्वान – ज्ञानवान
- समर्थ – योग्य और सक्षम
- सदैव प्रियदर्शन – हमेशा मनमोहक और प्रियदर्शी
- आत्मवान – आत्मसंयमी और धैर्यवान
- जितक्रोध – जिसने क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली हो
- द्युतिमान – कान्तियुक्त, तेजस्वी
- अनसूयक – ईर्ष्या से मुक्त
- रुष्ट होने पर देवता भी भयभीत होते हैं – युद्ध में जिनके क्रोध से देवता भी डर जाते हैं
Ramayana Me Kitne Kand Hai: ये श्रीराम के वो गुण हैं, जो उन्हें एक आदर्श पुरुष के रूप में स्थापित करते हैं।
निष्कर्ष
Valmiki (वाल्मीकि) द्वारा उचित कथा रामायण में 7 कांडो का महत्वपूर्ण स्थान विवादित है। बालकाण्ड में श्रीराम और उनके भाइयों के जन्म से लेकर उनके विवाह तक की घटनाओं का बहुत ही सुन्दर वर्णन है, जो रामायण के इस हिस्से को अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाता है।
(Ramayana Me Kitne Kand Hai) रामायण की कथा लोगो को अच्छे और सत्य के मार्ग में चलने के लिए हमेसा प्रेरित करती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q 1. Ramayana Me Kitne Kand Hai कांड कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर: रामचरितमानस को तुलसीदास ने सात काण्डों में विभक्त किया है।
Q 2. रामायण में कौन सा कांड नहीं पढ़ा जाता है?
उत्तर: गीताप्रेस द्वारा प्रकाशित रामचरितमानस में सात कांड मिलते हैं। आठवां लवकुश कांड नहीं मिलता।
Q 3. रामायण में कितने भेद होते हैं?
उत्तर: रामायण (ramayana kandas) में 7 कांड हैं, जिसकी रचना महर्षि वाल्मीकि द्वारा की गई है, इसमें लगभग 24,000 श्लोक, 500 सर्ग एवं 7 कांड हैं।
Q 4. रामायण में सबसे लंबा कांड कौन सा है?
उत्तर: छन्दों की संख्या के अनुसार बालकाण्ड और किष्किन्धाकाण्ड क्रमशः सबसे बड़े और छोटे काण्ड हैं।
Q 5. असली रामायण कौन सी है?
उत्तर: सबसे पहली ओरिजिनल रामायण जो है उसे “आदिकाव्य” कहते है। सबसे पहला आदिकाव्य सिर्फ एक ही है वाल्मीकिजी द्वारा रची हुई रामायण।