हेलो दोस्तों में खुशी शर्मा अपने इस लेख में आपका स्वागत करती हूँ। आज हम चर्चा करेंगे नवरात्रि में कन्या भोज कराने के महत्व के बारे में। दोस्तों, हाल ही में नवरात्रि की शुरुआत हुई है। नवरात्रि के नौ दिनों का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्व है। नवरात्रि का त्योहार हमारे देश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें भगवान दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है और लोग नौ दिनों तक उपवास करते हैं और पूजा करते हैं। इस मौके पर कन्या भोज का आयोजन भी किया जाता है।
दोस्तों, नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा को खुश करने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं। अष्टमी और नवमी में कन्या भोज और पूजन करना विशेष महत्वपूर्ण माना जाता है। यह एक प्राचीन परंपरा है जिसमें नवरात्रि के दौरान नौ युवा कन्याओं को भोजन कराया जाता है और उन्हें आशीर्वाद भी प्राप्त किया जाता है। सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का बहुत महत्व है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि में कन्या पूजन क्यों किया जाता है? आइए इस लेख में हम सभी मिलकर इसके महत्व को समझें।
नवरात्रि में कन्या भोज क्या है?
नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का बहुत बड़ा महत्व होता है। व्रत रखने वाले भक्त अपना उपवास कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही खोलते हैं। कन्याओं को देवी मां का अवतार माना जाता है। यह मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। कन्या भोज के दौरान नौ कन्याओं की होना आवश्यक होती है। इस दौरान, यदि कन्याएं 10 वर्ष से कम आयु की हों तो कहा जाता है कि उनके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती और उनका जीवन सुखमय रहता है।
नवरात्र में कन्या पूजन: एक अद्भुत परंपरा
नवरात्र में सप्तमी दिन से कन्या पूजन शुरू हो जाता है और इस दौरान कन्याओं को घर बुलाकर उनका स्वागत किया जाता है। दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी के रूप मानकर उनका स्वागत किया जाता है। नवरात्री पर्व के दौरान कन्या पूजन का (नवरात्रि में कन्या भोज) बड़ा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्री व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दान देने से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।
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कन्याओं और माँ दुर्गा के शस्त्रों की पूजा
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अष्टमी को विभिन्न तरीकों से मां शक्ति की पूजा की जानी चाहिए। इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। इस दिन को विभिन्न तरीकों से पूजना चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की खुशी के लिए हवन करवाना चाहिए। इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी के स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए। दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्य आदि के साथ उत्सव मनाना चाहिए।
नवरात्रि में कन्या भोज करवाने के महत्व (पुराणों में जाने)
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पौराणिक धर्म ग्रंथों और पुराणों के अनुसार नवरात्री के अंतिम दिन कौमारी पूजन आवश्यक होता है। क्योंकि कन्या पूजन के बिना भक्त के नवरात्री व्रत अधूरे माने जाते हैं। कन्या पूजन के लिए सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को उपयुक्त माना जाता है। कन्या भोज के लिए दस वर्ष तक की कन्याएं उपयुक्त होती हैं।
कन्या पूजन किस दिन करे?
वैसे तो कई लोग सप्तमी से कन्या पूजन शुरू कर देते हैं, लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं, वह तिथि के अनुसार नवमी और दशमी को कन्या पूजन करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं। शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है।
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कन्या पूजन की विधि
- कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है।
- मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है।
- गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं।
- अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए।
- उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए।
- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें।
निष्कर्ष
दोस्तों, आज के इस लेख में हमने नवरात्रि में कन्या भोज करवाने के महत्व के बारे में सरल शब्दों में जाना। हम जानते हैं कि नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन का बहुत बड़ा महत्व होता है। व्रत रखने वाले भक्त अपना उपवास कन्याओं को भोजन कराने के बाद ही खोलते हैं। कन्याओं को देवी मां का अवतार माना जाता है। यह मान्यता है कि इस दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। हमने आज के इस ब्लॉग में सारी जानकारी दी है। आशा है कि यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा।
नवरात्रि में कन्या भोज करवाने के महत्व। ऐसे ही और ताजी खबरों के लिए हमारे साथ बने रहे हमारी वेबसाइट पर हम आपको पल-पल की Latest News आप तक पहुंचाते रहेंगे। यदि आपको हमारा यह Blog पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर करें। और ऐसी ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
1. नवरात्रि में कन्या पूजन क्यों किया जाता है?
उत्तर: नवरात्रि में कन्या पूजन करने से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज़ प्राप्त होता है।
2. नवरात्रि में कन्या न मिले तो क्या करें?
उत्तर: एक साथ 9 कन्या न मिले तो आप जितनी कन्या आई हों उनका पूजन करके बाकी की कन्याओं के लिए उपहार और भोग लगा दें और बाद में उसे कन्याओं को दे।
3. नवरात्रि में कितनी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए?
उत्तर: नवरात्रि में नौ कन्याओं को भोजन कराना चाहिए।
4. कन्या पूजन से क्या लाभ होता है?
उत्तर: कन्या पूजन से घर की दरिद्रता दूर होती है और सभी बाधाओं से छुटकारा मिलता है।
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