Kho Kho Mein Kitne Khiladi Hote Hain, खो-खो में कितने खिलाड़ी होते हैं?

By Khushi Sharma

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हेलो दोस्तों में खुशी शर्मा आज के इस लेख में आपका स्वागत करती हूँ, आज के इस न्यू ब्लॉग पोस्ट में हम बात करेंगे भारत के एक मशहूर खेल के बारे में जिसमे हम जानेंगे Kho Kho Mein Kitne Khiladi Hote Hain खो खो में कितने खिलाड़ी होते हैं, भारतीय खेलों में से एक प्रमुख खेल है जो हजारों वर्षों से खेला जा रहा है। यह खेल न केवल मनोरंजन के लिए है, बल्कि इसके माध्यम से खिलाड़ियों को सामूहिक जिम्मेदारी, सामर्थ्य, और सहयोग की भावना भी प्राप्त होती है, यहां हम जानेंगे कि क्षो क्षो खेल में खिलाड़ियों की संख्या क्या होती है। बने रहिये हमारे साथ।

दोस्तों हम इस लेख में बात करने वाले है, Kho Kho Mein Kitne Khiladi Hote Hain खो-खो एक भारतीय मैदानी खेल है, जिसमें खेल के मैदान में दोनों ओर दो खम्भों के अतिरिक्त खेला जाता है, इस खेल में अन्य साधन की आवश्यकता नहीं होती। यह एक अनोखा स्वदेशी खेल है, खो-खो खेलने के शारीरिक लाभ विशेष रूप से हमारे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।

यह खेल हमारे शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाता है और हमें सक्रिय रखने में मदद करता है। खो-खो का उत्पत्ति भारत में हुआ था। इसे एक समृद्ध और विशिष्ट खेल के रूप में माना जाता है जो हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। बने रहिये इस लेख में अंतिम तक।

Kho Kho Mein Kitne Khiladi Hote Hain

Kho Kho Mein Kitne Khiladi Hote Hain, खो-खो में कितने खिलाड़ी होते हैं?

खो-खो एक भारतीय मैदानी खेल है, जिसमें खेल के लिए सिर्फ मैदान और दो खम्भों की ही जरूरत होती है, और अन्य कोई खिलौना या उपकरण की आवश्यकता नहीं होती। यह एक बेहद अद्वितीय और अमित स्वदेशी खेल है, जो युवाओं को ऊर्जा और उत्साह से भर देता है। खेलने वाले और रोकने वाले, दोनों ही को बहुत अधिक शक्ति, कौशल, गति, और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। खो-खो को किसी भी सतह पर आसानी से खेला जा सकता है।

खो-खो खेल क्या है?

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खो-खो एक भारतीय मैदानी खेल जिसकी प्रत्येक पारी में 9 मिनट का समय होता है, जिसमें खिलाड़ियों का पीछा करना और दौड़ना शामिल होता है। पीछा करने वाली टीम कोर्ट के बीच में एक पंक्ति में बैठती है या घुटने टेकती है। दूसरे के बगल में बैठे प्रत्येक खिलाड़ी को विपरीत दिशा में दौड़ना होता है।

खो खो (Kho Kho) खेल क्षेत्र की विशेषताएँ

प्रकारमाप
कुल क्षेत्र आवश्यकता30 मीटर x 19 मीटर
खेलने का क्षेत्र27 मीटर x 16 मीटर
खम्भ की दूरी24 मीटर
केंद्रीय रास्ता24 मीटर लंबाई और 30 सेंटीमीटर चौड़ाई
क्रॉस लेन8 लेन, केंद्रीय रास्ते को काटते हैं
खम्भ का आकार120 सेंटीमीटर से 125 सेंटीमीटर की ऊचाई, 9-10 सेंटीमीटर व्यास
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खो-खो खेल का इतिहास

Kho Kho Mein Kitne Khiladi Hote Hain, खो-खो में कितने खिलाड़ी होते हैं?

विशेषज्ञों का मानना है कि खो-खो की उत्पत्ति भारत के महाराष्ट्र राज्य में हुई थी और प्राचीन काल में इसे रथों पर खेला जाता था और इसे राथेरा कहा जाता था। खो खो के वर्तमान संस्करण में इसे पैदल व्यक्तियों द्वारा खेला जाता है, इसकी उत्पत्ति 1914 में हुए प्रथम विश्व युद्ध के समय की मानी जाती है। खो-खो के इतिहास में यह महत्वपूर्ण समय माना जाता है, जब लोग इसे रथों पर खेलते थे और इसे खेलने का अनुभव करते थे। खो-खो के विकास में इस प्राचीन खेल के योगदान को महत्वपूर्ण माना जाता है, जो आज भी हमारे समाज में प्रचलित है।

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खो-खो नियमों का पालन

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खो-खो खेल में खिलाड़ियों को निर्धारित नियमों का पालन करना होता है। प्रत्येक धावक को ध्यान में रखना चाहिए कि वह समानांतर रेखा को छूने की कोशिश न करें और खेल के क्षेत्र से बाहर न जाएं। धावक को सक्रिय होने पर समीपस्थ धावकों को ‘खो’ करने का संकेत देना चाहिए। इसके अलावा, धावकों को खेल के नियमों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए, अन्यथा उन्हें फाऊल माना जाएगा। यहाँ तक कि सक्रिय धावक को नियमों के उल्लंघन के मामले में अंपायर के उचित निर्णय का समर्थन करना चाहिए।

खो-खो खेल सम्बन्धी नियम

  • प्रत्येक टीम में खिलाड़ियों की संख्या 9 होती है और 3 खिलाड़ी अतिरिक्त होते हैं।
  • प्रत्येक पारी में 9-9 मिनट छूने तथा दौड़ने का काम बारी-बारी से होता है। प्रत्येक मैच में 4 पारियाँ होती है। दो पारियों छूने की और 2 पारियाँ दौड़ने की होती हैं।
  • रनर खेलने के समय स्कोर के पास अपने नाम दर्ज करेंगे। पारी की शुरुआत में पहले तीन खिलाड़ी सीमा के भीतर होंगे। इन तीनों के आऊट होने के बाद तीन और खिलाड़ी ‘खो’ देने से पहले अंदर आ जाएंगे। जो इस समय में प्रवेश नहीं कर सकेंगे, उन्हें आऊट कर दिया जाएगा। अपनी बारी के बिना प्रविष्ट होने वाले खिलाड़ी को भी आऊट किया जाएगा। यह प्रक्रिया पारी के समाप्ति तक जारी रहेगी। तीसरे रनर को निकालने वाले सक्रिय धावक नए प्रविष्ट होने वाले रनर का पीछा नहीं करेगा, बल्कि उसे ‘खो’ कहा जाएगा। प्रत्येक टीम केवल मैदान के एक पक्ष से ही अपने रनर को प्रविष्ट कराएगी।
  • धावक और प्रत्येक रनर समय पर अपनी पारी समाप्त कर सकते हैं। केवल धावक या रनर टीम के कप्तान के अनुरोध पर ही अम्पायर खेल रोक कर पारी समाप्ति की घोषणा करेगा। एक पारी के बाद 5 मिनट और दो पारियों के बीच 9 मिनट का ब्रेक होगा।
  • धावक पक्ष को प्रत्येक रनर के बाहर होने पर एक अंक मिलेगा। सभी रनरों के समय से पहले बाहर हो जाने पर उनके खिलाफ एक ‘लोना’ दे दिया जाता है। इसके बाद वह टीम उसी क्रम में अपने रनर भेजेगी। लोना प्राप्त करने के लिए कोई अतिरिक्त अंक नहीं दिया जाता है। पारी के समाप्त होने तक इसी तरह से खेल जारी रहेगी। पारी के दौरान रनरों के क्रम में परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
  • नॉक आऊट पद्धति में मैच के अंत में अधिक अंक प्राप्त करने वाली टीम को विजयी घोषित किया जाएगा। यदि अंक बराबर हों तो एक और पारी खेली जाएगी। यदि फिर भी अंक बराबर रहें तो टाई ब्रेकर नियम का प्रयोग किया जाएगा। इस स्थिति में यह ज़रुरी नहीं है कि टीमों में वहीं खिलाड़ी हों।
  • लीग प्रणाली में विजेता टीम को 2 अंक मिलेंगे। हारने वाली टीम को शून्य अंक दिए जाएंगे और बराबर होने पर प्रत्येक टीम को एक-एक अंक दिया जाएगा। यदि लीग प्रणाली में स्कोर बराबर हो, तो टीम या टीमें पुनः मैच खेलेंगी। ऐसे मैच नॉक-आउट प्रणाली के आधार पर आयोजित किए जाएंगे।
  • अगर किसी कारण से मैच पूरा नहीं होता है, तो यह किसी अन्य समय पर खेला जाएगा और पिछले अंक नहीं गिने जाएंगे। मैच शुरुआत से ही खेला जाएगा।
  • अगर किसी एक टीम के अंक दूसरी टीम से 12 या उससे अधिक हो जाएं, तो पहली टीम दूसरी टीम को धावक के रूप में पीछा करने के लिए कह सकती है। यदि दूसरी टीम इस बार भी अधिक अंक प्राप्त कर लेती है, तो भी उसका धावक बनने का अधिकार बना रहता है।
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मैच की व्यवस्था के लिए अधिकारी

मैच की व्यवस्था के लिए निम्नलिखित अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं:

  • दो अम्पायर
  • एक रैफरी
  • एक टाइम-कीपर
  • एक स्कोरर

अम्पायर

अम्पायर लॉबी से बाहर खड़ा होगा और केन्द्रीय गली द्वारा विभाजित अपने स्थान से खेल की देख रेख करेगा। वह अपने अर्द्धक में सभी निर्णय देगा। वह निर्णय देने में दूसरे अर्द्धक के अम्पायर की सहायता कर सकता है।

रैफरी रैफरी के कर्त्तव्य इस प्रकार हैं।

  • वह अम्पायरों की उनके कर्त्तव्य पालन में सहायता करेगा और उनमें मतभेद होने की दिशा में अपना फैसला देगा।
  • वह खेल में बाधा पहुँचाने वाले, असभ्य व्यवहार करने वाले नियमों का उल्लंघन करने वाले खिलाड़ियों को दण्ड देता है।
  • वह नियमों की व्याख्या सम्बन्धी प्रश्नों पर अपना निर्णय देता है।

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टाइम-कीपर

टाइप-कीपर का काम समय का रिकार्ड रखना है। वह सीटी बजाकर पारी के आरम्भ या समाप्ति का संकेत देता है।

स्कोरर

स्कोरर इस बात का ध्यान रखता है कि खिलाड़ी निश्चित क्रम से मैदान में उतरते हैं। वह आऊट हुए रनरों का रिकार्ड रखता है। प्रत्येक पारी के अंत में वह स्कोर शीट पर अंक दर्ज करता है और धावकों का स्कोर तैयार करता है। मैच के अंत में वह परिणाम तैयार करता है और रैफरी को सुनाने के लिए देता है।

निष्कर्ष

दोस्तों इस लेख में, Kho Kho Mein Kitne Khiladi Hote Hain हमने क्रिकेट मैच के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से जाना। हमने खेल के नियम, मैच की व्यवस्था, और अन्य विविध विवरणों पर प्रकाश डाला। क्रिकेट खेलने का अनुभव बेहद रोमांचक और उत्तेजक होता है, और यह खेल खिलाड़ियों के बीच संवाद, सहयोग, और प्रतिस्पर्धा की भावना को उत्तेजित करता है।

क्रिकेट न केवल एक खेल है, बल्कि यह एक सामाजिक अनुभव भी है जो समूचे समुदाय को जोड़ता है।क्रिकेट एक मनोरंजनप्रिय खेल है हमने इस खेल के बारे में आज के इस लेख में सब जानकारी साझा की है हमे आशा है की ये लेख आपके लिए उपयोगी होगा।

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FAQs

1. खो खो के संस्थापक कौन है?

उत्तर: खो खो के संस्थापक बृज हल्दानिया व महेंद्रसिंह है

2. खो खो का आविष्कार कब हुआ?

उत्तर: खो-खो की पहली प्रतियोगिता पूना के जिमखाने में 1918 ई॰ में हुई।

3. खो खो में कितने लोग रहते हैं?

उत्तर: प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ी होते हैं, लेकिन एक प्रतियोगिता के दौरान, प्रत्येक पक्ष से केवल 9 खिलाड़ी मैदान में उतरते हैं। 

4. खो खो का ग्राउंड कितने मीटर का होता है?

उत्तर: खो-खो का क्रीड़ा क्षेत्र आयताकार होता है। यह 29 X 16 मीटर होता है। मैदान के अंत में दो आयताकार होते हैं। आयताकार की भुजा 16 मीटर और दूसरी भुजा 2.75 मी

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Khushi Sharma

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