Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain, कारक के कितने भेद होते हैं?

By Khushi Sharma

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नमस्ते दोस्तों! इस पोस्ट में हम आपका स्वागत करते हैं। आज के ब्लॉग में हम बात करेंगे कारक के कितने भेद होते हैं? (Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain) जैसा की हम सब जानते हैं हर साल परीक्षाओं में हिंदी व्याकरण से इस तरह के प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। अगर आप कारक के कितने भेद होते हैं, जानना चाहते हैं, तो आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। आज के इस लेख के माध्यम से सारी जानकारी विस्तार से आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।

दोस्तों, इस लेख में हम चर्चा करेंगे कारक के कितने भेद होते हैं? (Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain) कारक शब्द का अर्थ होता है वह शब्द जो किसी शब्द के साथ उसका असली मतलब बताता है। हिंदी व्याकरण में कारक का बहुत महत्व है। इस लेख में हम कारक की परिभाषा और उनके भेदों को समझेंगे। कारक किसे कहते हैं? कारक के कितने भेद होते हैं? इन प्रश्नों का उत्तर इस लेख में बहुत सरल भाषा में दिया गया है। हमारे साथ बने रहें और अंत तक पढ़ते रहें।

Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain, जानिए

Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain, कारक के कितने भेद होते हैं?

(Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain) कारक को कारक कहा जाता है। अर्थात् व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह स्थिति जिससे वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है, उसे कारक कहते हैं। संज्ञा या सर्वनाम के क्रिया से संबंध जिस तरह से जाना जाता है, उसे हम कारक कहते हैं। कारक यह सूचित करता है कि वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम का क्या काम है। कारक कई रूपों में देखने को मिलता है।

विभिन्न भाषाओं में कारकों की संख्या और कारक के अनुसार शब्द का रूप-परिवर्तन विभिन्न होता है। संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं में आठ कारक होते हैं। जर्मन भाषा में चार कारक होते हैं।

करक (Karak) किसे कहते हैं?

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कारक एक शब्द होता है जिसका उपयोग समझाने के लिए किया जाता है, व्याकरण में, इसे कारक के रूप में संदर्भित किया जाता है। कारक शब्द का मतलब होता है – काम करने वाला। काम को करने में कोई न कोई अपनी भूमिका निभाता है, उसे कारक कहा जाता है। आइये जानते है कारक की परिभाषा और उदहारण।

कारक की परिभाषा:-

1. कारक शब्द का मतलब होता है – किसी क्रिया को करने वाला। किसी क्रिया को करते समय कोई न कोई अपनी भूमिका निभाता है, उसे कारक कहते हैं। अर्थात, संज्ञा और सर्वनाम के साथ किसी अन्य शब्द के साथ क्रिया के संबंध को दिखाने वाले निशान को हम कारक कहते हैं।

2. दूसरे शब्दों में– संज्ञा या सर्वनाम के जिस तरीके से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका संबंध दिखाता है, उसे ‘कारक’ कहा जाता है।

इन दो ‘परिभाषाओं’ का अर्थ यह है कि संज्ञा या सर्वनाम के साथ जब ‘ने’, ‘को’, ‘से’ इत्यादि विभक्तियाँ लगती हैं, तब उनका रूप ही ‘कारक’ कहलाता है।

उदहारण:

  • राम ने श्याम को मुक्के से मारा। (यहाँ ने, को, और से कारक हैं।)

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कारक के कितने भेद होते हैं?

Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain, कारक के कितने भेद होते हैं?

कारक के आठ भेद होते हैं। यह आठों प्रकार हिंदी व्याकरण में वाक्य बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। आसान परिभाषा में कहें तो जो चिन्ह दो शब्दों के बीच सम्बन्ध स्थापित करते हैं, वह कारक चिन्ह कहलाते हैं। कारक विभिन्न रूपों में आते हैं। कारकों के आधार पर तत्वों की संख्या और शब्द रूप भाषाओं के बीच भिन्न होते हैं। संस्कृत और अन्य ऐतिहासिक भारतीय भाषाओं में आठ कारक होते हैं। जर्मन भाषा को चार कारकों द्वारा आकार दिया गया है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों में आठ हैं।

कारक के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं:

कारकउपयोग
कर्ताने
कर्मको
करणसे’ के द्वारा
संप्रदानको, के लिए
अपादानसे ( अलग होना )
संबंधका, के, की, रा, री, रे, ना, नी, ने
अधिकरणमें, पै, पर
संबोधनहे! अरे! भो!
#Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain
Karak Ke Kitne Bhed Hote Hain, कारक के कितने भेद होते हैं?

कारक के भेदों की परिभाषा

  • कारक के प्रकार में कर्ता कारक के द्वारा कार्य करने वाले का बोध कराता है।
  • कर्म कारक किये गए कार्य से प्रभावित व्यक्ति का अनुभव दिखाता है।
  • कारण कारक के द्वारा क्रिया में इस्तेमाल किये गए साधन की बात बताता है।
  • कर्ता द्वारा किया गया कार्य, जिसके लिए होता है उसे सम्प्रदान कारक द्वारा बताया जाता है।
  • अपादान कारक के द्वारा एक वस्तु से जुदाई का अनुभव दिखाता है।
  • एक वस्तु से दूसरे वस्तु का संबंध बताने के लिए सम्बन्ध कारक का सहारा लिया जाता है।
  • क्रिया के आधार पर की गई क्रिया को अधिकरण कारक के विभक्ति चिन्हों से दिखाया जाता है।
  • संबोधन कारक का इस्तेमाल किसी खास व्यक्ति विशेष के बारे में बताने के लिए किया जाता है।

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निष्कर्ष

दोस्तों, आज के इस लेख में हमने कारक के विभिन्न भेदों पर अलग-अलग प्रकारों में चर्चा की है। हमने जाना कि कारक के कितने भेद होते हैं (Karak Ke Kitne Bhed Hote) और उनका मतलब और उपयोग आप तक साझा किया है। साथ ही, हमने उनके उदाहरण भी प्रस्तुत किए हैं। इस लेख में कारक के भेदों को सरल भाषा में समझाने का प्रयास किया गया है। यहां उपलब्ध सारी जानकारी आपको हिंदी व्याकरण के महत्वपूर्ण अंग को समझने में मदद करेगी। आशा है कि आज का यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

1. कारक के कितने भेद होते हैं?

उत्तर: कारक के आठ भेद होते हैं।

2. कारक के आठ भेद कोन-कोन से हैं?

उत्तर: हिंदी में ‘आठ’ कारक होते हैं – कर्ता कारक, कर्म कारक, कारण कारक, सम्प्रदान कारक,अपादान कारक, सम्बन्ध कारक, अधिकरण कारक, संबोधन कारक।

3. कारक का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर: कारक का दूसरा नाम विभक्ति या परसर्ग है

 4. शब्द के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध हो, उसे कोनसा कारक कहते हैं?

उत्तर: शब्द के जिस रूप से क्रिया के करने वाले का बोध हो, उसे कर्त्ता कारक कहते हैं

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Khushi Sharma

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