नमस्ते दोस्तों! आप सभी का मेरे इस लेख में स्वागत है। आज हम बात करेंगे, ‘Baisakhi Kitne Tarikh Ko Hai?’ (बैसाखी कितने तारीख को है?) बैसाखी एक खुशी और उल्लास का त्योहार है, जिसमें फसलों की पकने की खुशी मनाई जाती है। पंजाब में इस दिन लोग नई फसल का स्वागत करते हैं और खुशियां मनाते हैं। इस दिन घरों में व्यंजन बनाकर मेहमानों को बुलाया जाता है। चलिए, जानते हैं इस पर्व से जुड़ी मान्यताएं और महत्व।
बैसाखी एक सादा सा उत्सव है, जो किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह पर्व पंजाब और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाता है। इसे सिख नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। बैसाखी का उत्सव सिख समुदाय में खालसा पंथ के स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, और इसे विसाखी या बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है।
दोस्तों, बैसाखी कितने तारीख को है? (Baisakhi Kitne Tarikh Ko Hai) यह एक खुशहाल और उत्सवजनक महापर्व है, जिसका भारत में बहुत अधिक महत्व है। यह हिन्दू और सिख समुदाय का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भारतीय कैलेंडर के अनुसार वैशाख मास के पहले दिन मनाया जाता है। इस उत्सव को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। आइए हमारे साथ जानिए और अंत तक बने रहिए।
Baisakhi: पंजाब और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाने वाला उत्सव
वैसाखी का त्योहार प्रमुख रूप से पंजाब और हरियाणा के नजदीकी कुछ इलाकों में खुशी-खुशी मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से पंजाबी और सिख समुदाय का उत्सव होता है, और इन स्थानों पर इसे ज्यादातर उत्साह से मनाया जाता है, जहां इस समुदाय के लोग बहुत अधिक हैं। इस साल वैसाखी 14 अप्रैल को हो रही है। वैसाखी के बारे में यह भी विश्वास है कि वर्ष 1699 में इस दिन सिखों के 10 वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने पवित्र खालसा पंथ की स्थापना की थी। पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है,
इसलिए यहाँ के सिख समुदाय के लोग बैसाखी के त्योहार को खेती की खुशी में मनाते हैं। आइए, चलिए हम आपको वैसाखी के महत्व, मुहूर्त और इसकी मान्यताओं के बारे में बताते हैं।
बैसाखी का रंगीन उत्सव: कब है बैसाखी?
हर साल जब मेष संक्रांति का दिन आता है, तो बैसाखी का उत्सव आत्मा में उत्साह भर देता है। (Baisakhi Kitne Tarikh Ko Hai) इस बार मेष संक्रांति 14 अप्रैल को हो रही है। इसी दिन सभी सिख समुदाय के लोग बड़े उत्साह से बैसाखी का त्योहार मनाएंगे। इस दिन नई फसल का स्वागत किया जाता है और नए कपड़े पहने जाते हैं। बैसाखी का उत्सव वसंत ऋतु की शुरुआत का संकेत माना जाता है। इसे वैसाखी या बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है। हर साल बैसाखी का उत्सव 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है।
बैसाखी का यह उत्सव पंजाब और हरियाणा में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। बैसाखी के कई अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे, असम में इसे बिहू, बंगाल में नबा वर्षा, और केरल में पूरम विशु कहा जाता है। बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है।
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2024 में बैसाखी की शुभ तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, बैशाखी के दिन आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। पूर्णिमा में विशाखा नक्षत्र होने के कारण ही इस माह को बैशाखी कहते है। अन्य शब्दो में कहे तो, वैशाख महीने के प्रथम दिन को बैसाखी कहा जाता है। बैसाखी से पंजाबी नववर्ष का आरंभ होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, बैसाखी को हर साल 13 अप्रैल या 14 अप्रैल के दिन मनाया जाता है। (Baisakhi Kitne Tarikh Ko Hai)
बैसाखी त्योहार का महत्व
बैसाखी के महीने में रबी की फसल पूरी तरह से तैयार हो जाती है और उनकी कटाई भी शुरू हो जाती है। इसी कारण बैसाखी को फसलों के पकने के साथ-साथ सिख धर्म की स्थापना के रूप में भी मनाया जाता है। बैसाखी के दिन सिख पंथ के 10वें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसलिए इसे खासतौर पर यहाँ पर मनाया जाता है। इस दिन सिखों के नए साल की शुरुआत होती है और उनकी खुशी में फसलों का त्योहार मनाया जाता है।
बैसाखी के दिन उत्तर भारत में रबी की फसलें पकने के साथ-साथ उनकी कटाई भी शुरू हो जाती है। इसलिए लोगों के लिए यह एक खास त्योहार है, जो खुशियों और उत्सव के साथ मनाया जाता है। शाम के समय, लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और गिद्दा और भांगड़ा के साथ-साथ पंजाब का पारंपरिक नृत्य भी करते हैं।
बैसाखी क्या है?
बैसाखी एकता और उत्साह का त्योहार है। बैसाखी का मतलब होता है वैशाख मास का उत्सव। यह वैशाख मास का पहला दिन होता है। बैसाखी वैशाखी का ही अर्थ है। इस दिन गंगा नदी में स्नान का विशेष महत्व होता है। हरिद्वार और ऋषिकेश में बैसाखी पर्व पर भारी मेला लगता है। बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, जिसे मेष संक्रांति भी कहते हैं। इसी अवसर को विषुवत संक्रांति भी कहा जाता है। बैसाखी प्रति वर्ष हिन्दुओं, बौद्धों और सिखों के लिए महत्वपूर्ण है। वैशाख के पहले दिन, भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न क्षेत्रों में नव वर्ष के त्योहारों को जैसे जुड़े शीतल, पोहेला बोशाख, बोहाग बिहू, विशु, पुथण्डु मनाये जाते हैं।
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बैसाखी कैसे मनाया जाता है? जानिए
- इस दिन पंजाब में बड़े उत्साह से भांगड़ा और गिद्दा नृत्य होता है।
- शाम को लोग आग के चारों ओर इकट्ठे होकर नई फसल का स्वागत करते हैं।
- पूरे देश में श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास के लिए जुटते हैं। मुख्य समारोह आनंदपुर साहिब में होता है, जहाँ पंथ की मौलिक नींव रखी गई थी।
- सुबह 4 बजे गुरु ग्रन्थ साहिब को समारोहपूर्वक आगे ले जाया जाता है।
- दूध और जल से प्रतीकात्मक स्नान के बाद गुरु ग्रन्थ साहिब को तख्त पर बैठाया जाता है। फिर पंच प्यारे ‘पंचबानी’ गाते हैं।
- अरदास के बाद दिन में गुरु को कड़ा प्रसाद चढ़ाया जाता है।
- श्रद्धालु इस दिन कारसेवा करते हैं।
- फिर सभी लोग ‘गुरु के लंगर’ में शामिल होते हैं।
- दिनभर गुरु गोविन्द सिंह और पंच प्यारों की प्रशंसा में शब्द और कीर्तन होता है।
निष्कर्ष
इस लेख में हमने जाना, ‘Baisakhi Kitne Tarikh Ko Hai?’ (बैसाखी कितने तारीख को है?) और इस उत्सव के महत्व के बारे में। बैसाखी एक सरल उत्सव है, जो किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे पंजाब और हरियाणा में धूमधाम से मनाया जाता है। इसे सिख नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। बैसाखी का उत्सव सिख समुदाय में खालसा पंथ के स्थापना दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, और इसे विसाखी या बैसाखी के नाम से भी जाना जाता है।
इस उत्सव को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साह और खुशी के साथ मनाया जाता है। आज के इस लेख में हमने आपको बैसाखी से सम्बंधित सारी जानकारियां दी है। आशा है की हमारा आज का ये लेख आपके लिए उपयोगी होगा।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
1. बैसाखी कितनी तारीख की है?
उत्तर: बैसाखी 3 या 14 अप्रैल को है।
2. 13 तारीख को वैशाखी है या 14 तारीख को?
उत्तर: पारंपरिक रूप से प्रतिवर्ष 13 अप्रैल और कभी-कभी 14 अप्रैल को मनाया जाता है।
3. बैसाखी का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर: भारत के अन्य हिस्सों में, बैसाखी को विभिन्न नामों से जाना जाता है – पश्चिम बंगाल में पोहेलाबोइशाख, असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडु, उत्तराखंड में बिहू, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादि, केरल में पूरमविशु और ओडिशा में महाविशुव संक्रांति।
4. बैसाखी कब मनाया जाता है?
उत्तर: बैसाखी को हर साल वैशाख मास के पहले दिन मनाया जाता है।