नमस्ते दोस्तों! आज के ब्लॉग में हम आपका स्वागत करते हैं। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि Maulik Kartavya Kitne Hain मौलिक कर्तव्य हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यनैतिक दायित्वों का एक समूह है, जिसका पालन सभी भारतीय नागरिकों को करना होता है। एक नागरितक होने के नाते हम सब अपने मौलिक अधिकार की बातें करते हैं, लेकिन मौलिक कर्तव्य को भूल जाते हैं, एक यूपीएससी एस्पिरेंट होने के नाते आपको अपने फंडामेंटल ड्यूटीज़ की जानकारी होनी चाहिए आइये जानते हैं इस लेख के माध्यम से आगे।
दोस्तों, इस ब्लॉग में हम आपके साथ साझा करेंगे। “Maulik Kartavya Kitne Hain” इस विषय पर हम आपको जानकारी देंगे। इस लेख में मौलिक कर्तव्यों की महत्ता और उनका आधुनिक संदर्भ विस्तार से वर्णित किया गया है। मौलिक कर्तव्य हमारे देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियाँ होती हैं। हम सभी अक्सर मौलिक अधिकारों की बात करते हैं, लेकिन देश के प्रति हमारे मौलिक कर्तव्यों की चर्चा करते समय, हमें अक्सर संघर्ष का सामना करना पड़ता है।
चलिए, हम साथ में आगे बढ़ें और जानें कि मौलिक कर्तव्य क्या है, इन्हें कितने और कौन-कौन से हैं और इसके अलावा भी क्या-क्या महत्वपूर्ण तथ्य हैं।
Maulik Kartavya Kitne Hain
कैटलिन के शब्दों में “नागरिकता किसी व्यक्ति की वैधानिक स्थिति है जिसके कारण वह राजनीतिक रूप से संगठित समाज की सदस्यता प्राप्त कर विभिन्न राजनीतिक एवं सामाजिक अधिकार प्राप्त करता है।” जब व्यक्ति को नागरिकता प्राप्त हो जाती है तो उसके बेहतर निर्वहन के लिये मौलिक अधिकारों की आवश्यकता होती है वहीं राज्य की व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करने के लिये राज्य नागरिकों से मौलिक कर्तव्यों के निर्वहन की भी अपेक्षा करता है। गौरतलब है कि बीते दिनों संविधान दिवस के अवसर पर संसद के संयुक्त सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सेवा और कर्तव्यों के मध्य अंतर को स्पष्ट करते हुए संवैधानिक कर्तव्यों के महत्त्व पर जोर दिया।
[ Maulik Kartavya Kitne Hain ]
मौलिक कर्तव्य क्या हैं?
मूल भारतीय संविधान, जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ, में नागरिक कर्तव्यों और दायित्वों का उल्लेख नहीं था। यह आशा की जाती थी कि स्वतंत्र भारत के भारतीय नागरिक स्वेच्छा से अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे। (Maulik Kartavya Kitne Hain) हालाँकि, योजना के अनुसार चीजें नहीं हुईं। इसलिए, स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के आधार पर अनुच्छेद 51-ए के तहत संविधान के भाग IV-ए में दस मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया था।
इन मौलिक कर्तव्यों का उद्देश्य है प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक निरंतर अनुस्मारक के रूप में कार्य करना और अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संबंध के कारण लोकतांत्रिक व्यवहार के कुछ बुनियादी मानदंडों को लागू करना। भारतीय संविधान में मौलिक कर्तव्यों को शामिल करने का विचार रूसी संविधान (तत्कालीन सोवियत संघ) से प्रेरित था। मूल रूप से, दस कर्तव्यों को जोड़ा गया था, और 2002 में 86वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा एक और कर्तव्य जोड़ा गया था। संविधान के अनुच्छेद 51-ए में सभी ग्यारह कर्तव्यों की सूची है।
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मौलिक कर्तव्य(Maulik Kartavya)
ये मौलिक कर्तव्य मुख्यतः पूर्व सोवियत संघ की संस्था से प्रेरित थे। भारत में कुल 11 आवश्यक कर्तव्य। हमें भारतीय संविधान का पालन करना चाहिए। [ Maulik Kartavya Kitne Hain ]
निम्नलिखित 11 मौलिक कर्तव्यों की सूची है:-
1. संविधान का पालन करें और राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें।
2. स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करें।
3. भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करें।
4. देश की रक्षा करें और बुलाए जाने पर राष्ट्रीय सेवाएँ प्रदान करें।
5. समान भाईचारे की भावना का विकास करें।
6. देश की सामासिक संस्कृति का संरक्षण करें।
7. प्राकृतिक पर्यावरण का संरक्षण करें।
8. वैज्ञानिक सोच और मानवता का विकास करें।
9. सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करें और हिंसा से बचें।
10. जीवन के सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करें।
11. सभी माता-पिता/अभिभावकों का कर्तव्य है कि वे अपने 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को स्कूल भेजें।
[ Maulik Kartavya Kitne Hain ]
मौलिक कर्तव्यों का महत्त्व
दुनिया भर के कई देशों ने ‘जिम्मेदार नागरिकता’ के सिद्धांतों को स्वयं को विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बदलने का कार्य किया है। इस संबंध में संयुक्त राज्य अमेरिका को सबसे उत्कृष्ट उदाहरण माना जा सकता है। अमेरिका द्वारा अपने नागरिकों को ‘सिटीज़न्स अल्मनाक’ (Citizens’ Almanac) नाम से एक दस्तावेज़ जारी किया जाता है जिसमें सभी नागरिकों के कर्तव्यों का विवरण दिया होता है। इसका एक अन्य उदाहरण सिंगापुर भी है जिसके विकास की कहानी नागरिकों द्वारा कर्तव्यों के पालन से शुरू हुई थी।
नतीजतन, सिंगापुर ने कम समय में ही स्वयं को एक अल्प विकसित राष्ट्र से विकसित राष्ट्र में बदल दिया। मौलिक कर्तव्य देश के नागरिकों के लिये एक प्रकार से सचेतक का कार्य करते हैं। नागरिकों को अपने देश और अन्य नागरिकों के प्रति उनके कर्तव्यों के बारे में ज्ञात होना चाहिये। ये असामाजिक गतिविधियों जैसे- झंडा जलाना, सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना या सार्वजनिक शांति को भंग करना आदि के विरुद्ध लोगों के लिये एक चेतावनी के रूप में कार्य करते हैं।
ये राष्ट्र के प्रति अनुशासन और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देने के साथ ही नागरिकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी मदद करते हैं।
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निष्कर्ष
दोस्तों, इस ब्लॉग में हमने आपको बताया की मौलिक कर्तव्य कितने हैं? (Maulik Kartavya Kitne Hain) इस लेख के माध्यम से हमने मौलिक कर्तव्यों के महत्व को समझाया है, जो हर नागरिक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये कर्तव्य हमें राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारियों की ओर देखने के लिए प्रेरित करते हैं और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होते हैं।
इसके अलावा, इन कर्तव्यों का पालन करने से नागरिकों में सामाजिक संबंधों का मजबूत होना, लोकतांत्रिक वातावरण का बना रहना और राष्ट्र के विकास में सक्रिय योगदान देने की प्रेरणा मिलती है। आशा है की आज का हमारा ये लेख आपके लिए उपयोगी होगा।
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अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
1. मौलिक कर्तव्य कितने हैं?
उत्तर: मौलिक कर्तव्य 11 हैं।
2. मौलिक कर्तव्य किस अनुच्छेद में दिए गए हैं?
उत्तर: संविधान के भाग IV ए में निहित अनुच्छेद 51 ‘ए’ मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है।
3. पहला मौलिक कर्तव्य कौन सा है?
उत्तर: भारतीय संविधान का पालन करें और राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के साथ -साथ संविधान के आदर्शों और संस्थानों का सम्मान करें.
4. मौलिक कर्तव्य कहाँ से लिया गया था?
उत्तर: मौलिक कर्तव्यों का विचार रूस के संविधान से प्रेरित है।
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