Navratri Kitne Tarikh Se Hai: इस नवरात्री माँ दुर्गा की पूजा पुरे विधि विधान से कैसे करे? जाने यहां।

By Khushi Sharma

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हेलो दोस्तों में खुशी शर्मा आज के इस लेख में आपका स्वागत करती हूँ, हम इस लेख में चर्चा करेंगे Navratri Kitne Tarikh Se Hai इस नवरात्री माँ दुर्गा की पूजा पुरे विधि विधान से कैसे करे? इस नवरात्री पुरे विधि-विधान से करे माँ दुर्गा की पूजा जैसा की हम सब जानते है, नवरात्रि हिन्दुओ का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जो माँ दुर्गा की पूजा और भक्ति के रूप में मनाया जाता है। आइये जानते है इस साल नवरात्री कितने तारीख की हैं और माँ दुर्गा की पूजा आराधना नियम से कैसे करें।

आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे की [ Navratri Kitne Tarikh Se Hai ] दोस्तों नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार नौ दिनों तक चलता है, और इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का महत्व इस बात से भी बढ़ जाता है कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा की उपासना, पूजा, और व्रत का पालन किया जाता है, जो भक्तों को आनंद, शांति, और संतोष की अनुभूति कराता है, आइये जानते है आगे।

Navratri Kitne Tarikh Se Hai: जानें सही तारीख

Navratri Kitne Tarikh Se Hai

हिंदू धर्म में नवरात्रि को बहुत ही पवित्र समय माना जाता है। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस साल नवरात्रि 3 अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 11 अक्टूबर 2024 तक चलेगी। यह 9 दिनों का पावन त्योहार है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। नवरात्रि में भक्त व्रत रखते हैं और माँ दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए विधिपूर्वक उनकी पूजा करते है।

Navratri Kitne Tarikh Se Hai

नवरात्रि की प्रमुख तिथियां

#तिथिव्रतरूप
1.प्रतिपदा3 अक्टूबर 2024मां शैलपुत्री की पूजा
2.द्वितीया4 अक्टूबर 2024मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
3.तृतीया5 अक्टूबर 2024मां चंद्रघंटा की पूजा
4.चतुर्थी6 अक्टूबर 2024मां कुष्माण्डा की पूजा
5.पंचमी7 अक्टूबर 2024मां स्कंदमाता की पूजा
6.षष्ठी8 अक्टूबर 2024मां कात्यायनी की पूजा
7.सप्तमी9 अक्टूबर 2024मां कालरात्री की पूजा
8.अष्टमी10 अक्टूबर 2024मां महागौरी की पूजा, अष्टमी
9.नवमी11 अक्टूबर 2024मां सिद्धिदात्री की पूजा, नवमी
10.दशमी12 अक्टूबर 2024रावण दहन, विजयदशमी
#माँ दुर्गा की पूजा पुरे विधि विधान से कैसे करे
Navratri Kitne Tarikh Se Hai

नवरात्री पूजा का शुभ मुहूर्त

तिथिसमय
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ03 अक्टूबर 2024, रात्रि 12:18 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त04 अक्टूबर 2024, मध्य रात्रि 02:58 बजे
नवरात्रि की शुरुआत03 अक्टूबर 2024, गुरुवार
घटस्थापना शुभ मुहूर्त03 अक्टूबर 2024 को
घटस्थापना का शुभ समयसुबह 06:20 बजे से 07:55 बजे तक
अभिजीत मुहूर्तदोपहर 11:46 बजे से 12:34 बजे तक
#Navratri Kitne Tarikh Se Hai

नवरात्रि कब है ?

पंचांग के अनुसार, नौ दिनों का नवरात्रि का पर्व आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि गुरुवार, 03 अक्टूबर 2024 से शुरू होकर 12 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी। इन नौ दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है।

नवरात्रि पूजा का महत्त्व

Navratri Kitne Tarikh Se Hai

नवरात्रि का मतलब है ‘नौ रातें’, जो माँ दुर्गा की पूजा के लिए होती हैं। इन दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री। हर दिन एक खास रूप की पूजा की जाती है, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने में मदद करती है।

नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे करें?

नवरात्रि के पावन अवसर पर कलश स्थापना करना एक महत्वपूर्ण धार्मिक आदत है। यहां हम आपको नवरात्रि में कलश स्थापना करने का एक सरल तरीका बता रहे हैं:

1. उपयुक्त स्थान चुनें: सबसे पहले, पूजा के लिए एक उचित स्थान चुनें। इसे घर के मंदिर या पूजा कक्ष में स्थापित कर सकते हैं।

2. कलश की तैयारी: एक साफ़ और स्वच्छ कलश लेकर उसे पूरी तरह से धो लें। फिर उसमें नलकों या गोबर की गोलियाँ डालें।

3. कलश में जल भरें: कलश में साफ़ पानी भरें और उसमें सिन्दूर या हल्दी मिलाएं। फिर उसे एक स्थिर स्थान पर रखें।

4. कलश को सजाएं: कलश के चारों ओर मोमबत्ती और फूल रखें। इसके अलावा, कलश के ऊपर सिल्वर या कोई रंगीन कपड़ा बांधें।

5. मंत्रों का पाठ: कलश स्थापना के समय, विशेष मंत्रों का उच्चारण करें। इससे पूजन का महत्व बढ़ जाता है।

5. प्रार्थना करें: अब कलश के सामने बैठें और भगवान से अपनी मनोकामनाओं की प्रार्थना करें। इसके बाद, प्रासाद बांटें और पूजा को समाप्त करें।

इस रीति-रिवाज का पालन करके नवरात्रि में कलश स्थापना किया जा सकता है, जो आपके घर में शांति, समृद्धि, और सुख-शांति की वरदान लेकर आता है। (माँ दुर्गा की पूजा पुरे विधि विधान से कैसे करे)

Navratri Kitne Tarikh Se Hai

दुर्गा पूजा के लिए आवश्यक सामग्री

मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र, आसन के लिए लाल रंग का कपड़ा, फूल, फूल माला, आम के पत्ते, बंदनवार, पान, सुपारी, लौंग, बताशा, हल्दी की गांठ, थोड़ी पीसी हुई हल्दी, मौली, रोली, कमलगट्टा, शहद, शक्कर, पंचमेवा, गंगाजल, नैवेध, जावित्री, नारियल जटा वाला, सूखा नारियल, नवग्रह पूजन के लिए सभी रंग या फिर चावलों को रंग लें, दूध, वस्त्र, दही, पूजा की थाली, दीपक, घी, अगरबत्ती आदि।

अखंड ज्योति के लिए सामग्री

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पीतल या मिट्टी का दीपक, घी, रूई बत्ती, रोली या सिंदूर, अक्षत।

हवन के लिए सामग्री

नवरात्रि पर भक्त पूरे नौ दिन तक हवन करते हैं। इसके लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, काले तिल, रोली या कुमकुम, अक्षत(चावल), जौ, धूप, पंचमेवा, घी, लोबान, लौंग का जोड़ा, गुग्गल, कमल गट्टा, सुपारी, कपूर, हवन में चढ़ाने के लिए भोग, शुद्ध जल (आमचन के लिए)।

मां दुर्गा के सोलह श्रृंगार 

लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी, महावर, शीशा, बिछिया, इत्र, चोटी, गले के लिए माला या मंगलसूत्र, पायल, नेल पेंट, लिपस्टिक, रबर बैंड, नथ, गजरा, मांग टीका, कान की बाली, कंघी, शीशा आदि।

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[ Navratri Kitne Tarikh Se Hai ]

माँ दुर्गा का वाहन

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नवरात्रि में माँ दुर्गा का आना और जाना एक खास सवारी पर होता है, जिसका अलग-अलग मतलब होता है। माँ दुर्गा की सवारी से देश-दुनिया, प्रकृति, फसल, और लोगों के जीवन पर होने वाले अच्छे या बुरे असर का अंदाजा लगाया जाता है। इसलिए नवरात्रि में माँ दुर्गा की सवारी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

पालकी पर माँ दुर्गा का आगमन: जानें इसके शुभ-अशुभ संकेत

माता रानी का आगमन या विदाई किस सवारी पर होगा, यह वार के अनुसार तय होता है, इसलिए हर बार उनकी सवारी बदलती रहती है। इस साल शारदीय नवरात्रि गुरुवार से शुरू हो रही है, और ऐसे में माँ दुर्गा पालकी पर आएंगी। कहा जाता है कि जब नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार को होती है, तो माँ की सवारी डोली या पालकी होती है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, माँ दुर्गा का पालकी पर आना शुभ नहीं माना जाता। इससे आर्थिक मंदी, व्यापार में गिरावट, हिंसा, महामारी और प्राकृतिक आपदाओं की संभावना रहती है।

माँ दुर्गा की पूजा कैसे करे? (पूजा विधि)

नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब एक चौकी बिछाकर वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। फिर रोली और अक्षत से टीका करें और फिर वहां माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विधि विधान से माता की पूजा करें। इस बात का ध्यान रखें कि कलश हमेशा उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में स्थापित करें। कलश के मुंह पर चारों तरफ अशोक के पत्ते लगाकर नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांध दें। अब अम्बे मां का आह्वान करें और दीपक जलाकर पूजा करें। (माँ दुर्गा की पूजा पुरे विधि विधान से कैसे करे)

  • पूजा की जगह को साफ करें
  • लाल रंग के कपड़े पर देवी दुर्गा की तस्वीर/मूर्ति को वेदी पर रखें।
  • इसे लाल चुनरी से सजाएं।
  • मां दुर्गा की मूर्ति के सामने अखंड ज्योति जलाएं।
  • कलश में गंगाजल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डाल दें।
  • कलश के ऊपर नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मोली से बांधकर रखें।

दुर्गा मां की आरती 

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी। 
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी।।
जय अम्बे गौरी,…।

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को। 
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।
जय अम्बे गौरी,…।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।
जय अम्बे गौरी,…।

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी। 
सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।
जय अम्बे गौरी,…।

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। 
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती। 
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।
जय अम्बे गौरी,…।

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे। 
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।
जय अम्बे गौरी,…।

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। 
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।
जय अम्बे गौरी,…।

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू। 
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।
जय अम्बे गौरी,…।

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। 
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।
जय अम्बे गौरी,…।

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी। 
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।
जय अम्बे गौरी,…।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती। 
श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।
जय अम्बे गौरी,…।

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै। 
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

(माँ दुर्गा की पूजा पुरे विधि विधान से कैसे करे)

निष्कर्ष

इस लेख में हमने चर्चा की कि नवरात्री में माँ दुर्गा की पूजा कैसे पूरे विधि-विधान से की जा सकती है। Navratri Kitne Tarikh Se Hai हमने यहाँ नवरात्री के महत्व, तारीखों की महत्वपूर्ण जानकारी, कलश स्थापना की प्रक्रिया, और पूजा में आवश्यक सामग्री के बारे में बताया है। नवरात्री की पूरी पूजा विधि हमने आपको आज के इस ब्लॉग में विस्तार से जानकारी दी है। नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर, माँ दुर्गा की कृपा सदा आप पर बनी रहे।

Navratri Kitne Tarikh Se Hai इस नवरात्री माँ दुर्गा की पूजा पुरे विधि विधान से कैसे करे? जाने यहां। ऐसे ही और ताजी खबरों के लिए हमारे साथ बने रहे हमारी वेबसाइट पर हम आपको पल-पल की Latest News आप तक पहुंचाते रहेंगे। यदि आपको हमारा यह Blog पसंद आया हो तो कृपया इसे शेयर करें। और ऐसी ही अन्य लेख को पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।

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Khushi Sharma

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